DETAILS, FICTION AND मध्यकालीन भारत का इतिहास

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कुरु वंश की राजधानी कहाँ थी ? उत्तर- हस्तिनापुर में

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डीलिस्टिंग: धर्म परिवर्तन करने वाले अनुसूचित जनजाति के लोग क्या आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगे?

प्राचीन भारतीयों इतिहास की जानकारी के साधन[संपादित करें]

इब्नबतूता की देश का यात्री था? उत्तर– मोरक्को

उस्ताद मंसूर एक मुगलकालीन चित्रकार था। उसने अपनी चित्रकारी अकबर के राज्यकाल के आखिरी वर्षों में शुरू की और बाद में जहाँगीर के समय कार्य किया। जहाँगीर का काल मुगल चित्रकला का स्वर्णयुग कहा जाता है।

दिल्ली से दौलताबाद किस शासक ने अपनी राजधानी परिवर्तित की ?उत्तर- मुहम्मद तुगलक

मूर्ति एवं मंदिर निर्माण की विभिन्न शैलियां

मुख्य लेख : शक साम्राज्य एवं कुषाण साम्राज्य

शाहजहाँ कालीन शासन के हालात एवं अफसरों से संबंधित जानकारी तारीख-ए-शाहजहानी से मिलती है। 

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोत

भारतीय पुरातत्व के पिता किसे कहा जाता है? उत्तर- अलेक्जेंडर कनिघम

बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ तक इतिहासकारों की यह मान्यता थी कि वैदिक सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है। परन्तु सर दयाराम साहनी के नेतृत्व में १९२१ में जब हड़प्पा (पंजाब के माँन्टगोमरी जिले में स्थित) की खुदाई हुई तब इस बात का पता चला कि भारत की सबसे पुरानी सभ्यता वैदिक नहीं वरन सिन्धु घाटी की सभ्यता है। अगले साल अर्थात १९२२ में राखालदास बनर्जी के नेतृत्व में मोहनजोदड़ो (सिन्ध के लरकाना जिले में स्थित) की खुदाई हुई। हड़प्पा टीले के बारे में सबसे पहले चार्ल्स मैसन ने १९२६ में उल्लेख किया था। मोहनजोदड़ो को सिन्धी भाषा में मृतकों का टीला कहा जाता है। १९२२ में राखालदास बनर्जी ने और इसके बाद १९२२ से १९३० तक सर जॉन मार्शल के निर्देशन में यहां उत्खनन कार्य करवाया गया।

महमूद के भारतीय आक्रमण का वास्तविक उद्देश्य धन की प्राप्ति था। वह एक मूर्तिभंजक आक्रमणकारी था। महमूद की सेना में सेवदंराय एवं तिलक जैसे हिन्दू उच्च पदों read more पर आसीन व्यक्ति थे। महमूद के भारत आक्रमण के समय उसके साथ प्रसिद्ध इतिहासविद्, गणितज्ञ, भूगोलावेत्ता, खगोल एवं दर्शन शास्त्र के ज्ञाता तथा ‘किताबुल हिन्द’ का लेखक अलबरूनी भारत आया। अलबरूनी महमूद का दरबारी कवि था। ‘तहकीक-ए-हिन्द’ पुस्तक में उसने भारत का विवरण लिखा है। इसके अतिरिक्त इतिहासकार ‘उतबी’, 'तारीख-ए-सुबुक्तगीन' का लेखक ‘बेहाकी’ भी उसके साथ आये। बेहाकी को इतिहासकार लेनपूल ने ‘पूर्वी पेप्स’ की उपाधि प्रदान की है। ‘शाहनामा’ का लेखक 'फ़िरदौसी’, फ़ारस का कवि जारी खुरासानी विद्धान तुसी, महान् शिक्षक और विद्वान् उन्सुरी, विद्वान् अस्जदी और फ़ारूखी आदि दरबारी कवि थे। भारत में तुर्क राज्य की स्थापना

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